छोटे बच्चे स्वभाव से बेहद मासूम होते हैं और अधिक भावुक होने के कारण वह किसी भी बात को बेहद जल्द अपने दिल से लगा लेते हैं। लेकिन जो बच्चे नियमित रूप से मेडिटेशन करते हैं, वह अपनी भावनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण करने में सक्षम हो जाते हैं।
सेहत । मेडिटेशन से होने वाले फायदे किसी से छिपे नहीं हैं। आज के समय में जब हर व्यक्ति किसी न किसी तरह के तनाव से जूझ रहा है तो मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए मेडिटेशन का अभ्यास बेहद फायदेमंद होता है। वैसे यह सिर्फ व्यस्क के लिए ही लाभदायक नहीं है, बल्कि इससे बच्चों को भी उतना ही फायदा होता है। तो चलिए जानते हैं मेडिटेशन से बच्चों को होने वाले कुछ लाभों के बारे में−
तनाव में कमी
मेडिटेशन का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह तनाव कम करने में बेहद प्रभावी है। चूंकि आज के समय में बच्चे पढ़ाई व अन्य कई एक्टिविटी में अच्छा परफार्म करने के मानसिक दबाव में होते हैं। कई बार पीयर प्रेशर भी उनके तनाव का कारण बनता है। इस प्रकार अगर वह मेडिटेशन करते हैं तो इससे तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।
बेहतर विकास
बच्चों के बेहतर विकास में मेडिटेशन एक अहम भूमिका निभा सकता है। इससे मन तो रिलैक्स होता है ही, साथ ही इससे बच्चे की मेमोरी व एकाग्रता दोनों बेहतर होती है। जिससे बच्चे पढ़ाई से लेकर खेलकूद में बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं। इतना ही नहीं, मानसिक रूप से स्थिर व शांत होने के कारण वह विपरीत परिस्थितियों में भी घबराते नहीं है और बेहतर निर्णय करते हैं। इस प्रकार उनके निर्णय करने की क्षमता में भी सुधार होता है।
भावनाओं पर नियंत्रण
छोटे बच्चे स्वभाव से बेहद मासूम होते हैं और अधिक भावुक होने के कारण वह किसी भी बात को बेहद जल्द अपने दिल से लगा लेते हैं। लेकिन जो बच्चे नियमित रूप से मेडिटेशन करते हैं, वह अपनी भावनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण करने में सक्षम हो जाते हैं। ऐसे बच्चे पहले स्थिति को अच्छे से समझते हैं और उसके बाद ही रिएक्ट करते हैं। ऐसे बच्चे न तो छोटी−छोटी बातों पर जिद करते हैं और न ही हर बात पर गुस्सा।
अधिक आत्मविश्वासी
जब बच्चा मेडिटेशन करता है तो इससे उसका दिमागी विकास होता है। जिसके कारण बच्चे में आत्म जागरूकता व आत्मविश्वास जैसे गुणों का विकास होता है। जब एक बच्चा अधिक आत्मविश्वासी बनता है तो उसका सकारात्मक असर उसके हर क्षेत्र में दिखाई देता है। इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि बच्चों को मेडिटेशन करने की आदत डाली जाए। हालांकि इसके लिए जबरदस्ती न करें, बल्कि उसे इसके फायदे बताएं ताकि वह खुद−ब−खुद मेडिटेशन करने के लिए प्रोत्साहित हो।
मिताली जैन