बस्तीः कोविड-19 के दौर में समुदाय तक सही सन्देश पहुंचाकर ही कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। यह बात प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने कोविड-19 के दौर में संचार चुनौतियों व उनके निराकरण पर आयोजित तीन दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला के दौरान कही। ज़ूम एप के जरिए कार्यशाला में भाग ले रहे प्रदेश के सभी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों से उन्होंने अपील की कि वह फ्रंट लाइन वर्कर (आशा-आंगनबाड़ी व एएनएम) को इतना जागरूक बनाएं कि वह घर-घर जाकर लोगों को बता सकें कि संक्रमण से बचने के लिए उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है।
उन्होंने जिला स्तर पर कोविड-19 के साथ ही जेई, एईएस से भी बचाव के जरूरी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सर्दी, खांसी, बुखार व सांस फूलने के मामलों को गंभीरता से लें और लोगों को समय से इलाज के बारे में प्रेरित करें ताकि समस्या को गंभीर बनने से पहले ही रोका जा सके। कोरोना ऐसा वायरस है जो कभी भी और किसी को भी संक्रमित कर सकता है, इसके लिए किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल भी जरूरी
यूपी टीएसयू की वरिष्ठ बीसीसी स्पेशलिस्ट डॉ. शालिनी रमन ने इस दौरान कहा कि कोविड-19 की जंग के साथ ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर को बहुत ही सावधानी बरतनी है। उन्होंने प्रसव पूर्व जाँच और टीकाकरण के दौरान जो जरूरी सावधानी बरतनी है, जैसे- सेनेटाइजर के इस्तेमाल, मास्क लगाना, ग्लब्स पहनना और सोशल डिस्टेंशिंग के बारे में विस्तार से बताया।
कोविड-19 से मीडिया को जोड़ना :
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) की नेशनल प्रोग्राम लीड रंजना द्विवेदी ने इस दौरान कहा कि ख़बरों में इस तरह की भाषा या शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए जिससे समुदाय में भय का माहौल बनें। इसके साथ ही सुनी-सुनाई बातों की जगह तथ्यपरक ख़बरों को ही जगह मिलनी चाहिए। इसके अलावा कोरोना पर विजय पाने वालों के अनुभवों आदि को महत्व देना जरूरी है। उन्होंने पिछले छह माह के और कोविड सम्बन्धी मीडिया ट्रेंड का प्रस्तुतीकरण भी किया।