संतकबीरनगर।* जिले के सुख शांति और समृद्धि के लिए सूर्या इंटरनेशनल एकेडमी के प्रबंध निदेशक डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी ने परिवार के साथ रुद्रा अभिषेक करते हुए जिले के सुख शांति और समृद्धि की कामना की सावन माह के श्रावण कृष्ण पक्ष द्वादशी के दिन सूर्या इंटर नेशनल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल के प्रबन्ध निदेशक डा. उदय प्रताप चतुर्वेदी के खलीलाबाद स्थित आवास पर रूद्राभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य यजमान रामकृष्ण त्रिपाठी, ब्रहम देव त्रिपाठी, कपिल देव त्रिपाठी, मनोज ओझा, श्याम नरायण पाण्डेय, श्याम कृष्ण त्रिपाठी समेत सभी आर्चायों ने विधि-विधान के साथ के साथ रूद्राभिषेक कार्यक्रम को पूर्ण कराया। मुख्य यजमान रामकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दुःखों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वतः हो जाती है। रुद्रादयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवाः शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है। परंतु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। सूर्या एकेडमी के प्रबन्ध निदेशक डा. उदय प्रताप चतुर्वेदी ने कहा कि रूद्राभिषेक कार्यक्रम से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है, इस पुनीत कार्य से आत्मा को शांति व बल प्रदान होता है। इस अवसर पर सूर्या परिवार के सदस्य विधायक जय चैबे, जनार्दन चैबे, राकेश चतुर्वेदी, सविता चतुर्वेदी, शिखा चतुर्वेदी, अखण्ड प्रताप नरायण चतुर्वेदी, रत्नेश चतुर्वेदी, डा. चिंता मणि उपाध्याय, प्रधानाचार्य रविनेश श्रीवास्तव, बलराम यादव समेत तमाम लोग मौजूद रहें।